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जब सम्भोग से संतुष्ट नहीं हुईं मुस्लिम महिला तो उठाया हैरत में डालने वाला कदम। — June 12, 2016

जब सम्भोग से संतुष्ट नहीं हुईं मुस्लिम महिला तो उठाया हैरत में डालने वाला कदम।

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मुर्शिदाबाद की रहने वाली एक लड़की जब शादी की पहली रात सम्भोग में संतुष्ट नहीं हुईं तो उन्होंने हंगामा कर दिया। उन्होंने कहा कि सेक्स के दौरान उनके पति उत्तेजना पैदा नहीं कर पाते थे जिसकी वजह से वो कभी संतुष्ट नहीं हुईं। इस मामले पर चुप्पी साधने की बजाय उन्होंने इसपर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मुझे इसपर बोलने में ना तो डर लगता है और ना ही किसी तरह की शर्मिंदगी।उन्होंने ना सिर्फ तलाक मांगा बल्कि पति से अलग होने की अर्जी भी डाल दी।तलाक के अलावा महिला ने अपने सास-ससुर से दहेज में दिया गया 55,000 नकद और बाकी सामान भी लौटाने को कहा है। कई मुलाकातों के बाद आखिरकार शनिवार को महिला को जीत मिल गई। महिला की शादी 2 हफ्ते पहले ही बर्दवान ज़िले के खेचुरी गांव के वसीम से हुई थी। शादी के बाद जब लड़की के घरवाले उनसे मिलने ससुराल पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि वसीम को कुछ यौन बीमारी है।

कुछ दिनों के बाद लड़की जब मायके आई तो उनकी दादी ने सुहागरात के बारे में पूछा। इसपर उन्होंने सबकुछ बता दिया। परिवार ने उन्हें सलाह दी कि उनको न्याय मांगना चाहिए ना कि ऐसी शादी में फंसे रहना चाहिए। इसके बाद महिला ने स्ट्रीट सरवायवर्स इंडिया नाम का एक एनजीओ चलाने वाली शबनम रमास्वामी से मुलाकात की। रमास्वामी ने कहा, ‘साल 2002 से ही गांव के लोग अपनी दिक्कतों के समाधान के लिए हमारे पास आते हैं। अगर एक महिला या पुरुष को अपनी शादी में कुछ दिक्कतें आ रही हों तब लोग हमसे संपर्क करते हैं।महिला ने हमें बताया, ‘मैंने 9वीं तक पढ़ाई की है। मेरे पति कढ़ाई का काम करते हैं। मेरे परिवार ने शादी में दहेज के तौर पर 55 हजार रुपए के अलावा बिस्तर, गद्दा और कई चीजें दी थीं। उसमें भी 55 हजार का खर्च आया। सुहागरात में मुझे महसूस हुआ कि मेरे पति को कुछ यौनिक समस्या है और वह उत्तेजित नहीं हो पाते। हमारे गांव में पहले भी लोगों की शादियां टूटी हैं, लेकिन इससे पहले किसी भी लड़की ने पति की नपुंसकता को कारण बताकर तलाक नहीं लिया।’

उनकी इस बेबाकी से फिल्म निर्माता देबरती गुप्ता भी काफी प्रभावित हुईं। गुप्ता किसी काम से इस गांव में आई थीं और यहां संयोगवश जिस मुलाकात में फातिमा के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी, वहां वह मौजूद थीं।वसीम की यह दूसरी शादी है। कांडी अदालत में तलाक होने के बाद शनिवार को वह अपने गांव लौट आए। रमास्वामी बताती हैं, ‘शुक्रवार को दोनों परिवारों को अदालत ले जाया गया। तलाक का खर्च दोनों परिवारों ने मिलकर उठाया।वसीम की मां ने कहा कि शादी में मिला सामान लौटाने की जगह वह 55 हजार रुपए नकद ही लौटा देंगी। वह पैसा भी शुक्रवार को दे दिया गया। मैंने वसीम से वादा किया है कि मैं उसकी दिक्कत दूर करने के लिए उसे किसी सेक्स विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलवाऊंगी।’

शाहरुख के बेटे ने शेयर की ऐसी तस्वीर, लोग बोले खिलौने से बनाते हो संबंध! —

शाहरुख के बेटे ने शेयर की ऐसी तस्वीर, लोग बोले खिलौने से बनाते हो संबंध!

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शाहरुख खान के बेटे आर्यन हाल ही में ग्रेजुएट हुए हैं। छुट्टियां मना रहे आर्यन ने एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें उनके साथ एक लड़की नजर आ रही है। इस खिलौने का क्या होता है ये अगली तस्वीर पर जाकर आप जानेंगे।

शाहरुख इस तस्वीर में जिस खिलौने के साथ नजर आ रहे हैं, वो सेक्स टॉय जैसी दिख रहा है। इस पर ‘ओह यस’ भी लिखा नजर आ रहा है। ऐसे में इंस्टाग्रम पर शेयर की गई आर्यन की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।

सोशल मीडिया पर आर्यन की सेक्स टॉय के साथ तस्वीर पर कई यूजर्स ने मजेदार कमेंट किए है। कई ने आर्यन से ‘ये सब भी करने’ को लेकर सवाल किया है। तो कुछ ने ‘सही चीज को बढ़ावा दे रहे हो’ जैसी बातें भी कही हैं।

आर्यन इन दिनों अमिताभ की नातिन नव्या के साथ छुट्टियां मना रहे हैं। पिछले कुछ टाइम से वो लगातार वेकेशन मोड में हैं। नव्या और दोस्तों के साथ घूम रहे आर्यन किसी ना किसी वजह से चर्चाओं में बने रहते हैं।

आर्यन के ग्रेजुएशन डे पर शाहरुख खान और सुहाना भी पहुंचे थे

भ्रष्टाचार: रॉबर्ट वाड्रा के लिए आर्म्स डीलर ने खरीदी 19 करोड़ की बेनामी प्रॉपटी — May 30, 2016

भ्रष्टाचार: रॉबर्ट वाड्रा के लिए आर्म्स डीलर ने खरीदी 19 करोड़ की बेनामी प्रॉपटी

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सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को एक विवादित आर्म्‍स डीलर द्वारा कथित तौर पर लंदन में बेनामी कोठी देने संबंधी रिपोर्ट आने के बाद वित्‍त मंत्रालय उस जांच रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है जिसमें कहा गया था कि 2009 में वाड्रा के लिए विवादित आर्म्‍स डीलर संजय भंडारी ने लंदन में बेनामी कोठी खरीदी थी। इस खबर में कहा गया था कि मंत्रालय की जांच में उन ईमेल्‍स को परखा जा रहा है जो कथित तौर पर वाड्रा और उनके एग्जिक्‍युटिव असिस्‍टेंट मनोज अरोड़ा द्वारा भेजी गई थीं।

इन रिपोर्टों पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा, ‘मैंने वाड्रा और संजय भंडारी से जुड़ी बेनामी प्रॉपर्टी मामले की जांच के लिए भारत सरकार, प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट को लेटर लिखा है।’

पिछले ही महीने  एजेंसियों ने संजय भंडारी के स्‍वामित्‍व वाले 18 परिसरों में छापेमारी की थी। रेड्स के बाद इन एजेंसियों और टैक्‍स अधिकारियों की तरफ से जो प्रारंभ‍िक रिपोर्ट तैयार की गई थी, उनमें कहा गया था कि रॉबर्ट वाड्रा और उनके एग्जिक्‍युटिव असिस्‍टेंट मनोज अरोड़ा ने कई ऐसे मेल्‍स भेजे थे जिनमें लंदन के एक घर के लिए पेमेंट और मरम्‍मत का जिक्र किया गया था।

रिपोर्टों के मुताबिक, लंदन के ब्रायंस्‍टन स्‍क्‍वेयर स्थित 12 एलर्टन हाउस नाम के इस घर को अक्‍टूबर 2009 में करीब 19 करोड़ रुपये में खरीदा गया था और जून 2010 में बेच दिया गया था।

मोदी सरकार ने 2 वर्षों मे जितना काम किया उतना 5 सालो में भी कोई सरकार नहीं कर पाई। — May 27, 2016

मोदी सरकार ने 2 वर्षों मे जितना काम किया उतना 5 सालो में भी कोई सरकार नहीं कर पाई।

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जन धन योजना: इस योजना के जरिए करीब 15 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुल गए, करीब 10 करोड़ रूपे कार्ड जारी हो गए और लोगों को लाइफ कवर और पेंशन की सुविधा मयस्सर हुई।  

स्वच्छ भारत अभियान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन लोगों को इतना भाया कि इसमें साथ देने के लिए दिग्गज कारपोरेट हस्तियां भी कूद पड़ीं। अनिल अंबानी उसमे एक बड़ा नाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक पूर्ण स्वच्छता का वादा किया है।

घरेलू गैस सिलेंडर को डीबीटी से जोड़ा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरेलू गैल को डॉयरेक्ट कैश-बैनिफिट ट्रांसफर स्कीम से जोड़ दिया, ताकि करीब 5 बिलियन डॉलर की सालाना सब्सिडी को बचाया जा सके।

रेलवे में विदेशी निवेश को मंजूरी: रेलवे में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का एक बड़ा फैसला किया गया।

रक्षा क्षेत्र में विदेश निवेश को मंजूरी: नरेंद्र मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में भी एफडीआई की सीमा को 49 फीसदी तक बढ़ा दिया और तकनकी स्थानांतरण क्षेत्र में इसे 74 फीसदी के करीब पहुंचा दिया।

रफेल खरीद सौदे में तेजी: फ्रांस से रफेल विमान खरीद में तेजी देखने को मिली। भारत को फ्रांस से 36 रफेल विमान मिलने हैं।

बीमा और निवेश क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी:बीमा और निवेश के क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी देना केंद्र सरकार का एक बड़ा फैसला रहा।

100 स्मार्ट शहरों की योजना को मंजूरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना से देश के करीब 100 गांव स्मार्ट सिटी में शुमार हो जाएंगे।

तीन बड़े देशी अभियान की शुरुआत: नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन बड़े देशी अभियान मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया की पहल को अमली जामा पहना दिया। ताकि रोजगार सृजन भी किया जा सके।

मुद्रा योजना की शुरुआत: नरेंद्र मोदी सरकार ने मुद्रा योजना की नई पहल ही जिसमे छोटे उद्यमियों को अपना कारोबार शुरु करने के लिए 50,000 से 10 लाख तक का लोन देने की सुविधा उपलब्ध है। 
 बीते दो साल में क्या-2 बड़े फैसले और उपलब्धियां रही हैं।

उपलब्धियां 
1. जन धन योजना के तहत 15 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले, जीवन बीमा और पेंशन वाले 10 करोड़ से अधिक के डेबिट कार्ड जारी।
2. कॉरपोरेट सेक्टर ने मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को अपनाया। 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता का वादा।
3. रसोई गैस में नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना लागू। सब्सिडी में सालाना पांच अरब डॉलर बचत की उम्मीद। डीजल मूल्य भी नियंत्रण मुक्त।
4. रेल अवसंरचना में विदेशी निवेश को अनुमति। सीमा तय नहीं।
5. रक्षा में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मामले में सीमा 74 फीसदी।
6. रक्षा खरीद में तेजी। 36 राफेल युद्धक विमान की खरीदारी को मंजूरी ।
7. बीमा और पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बढ़कर 49 फीसदी।
8. कोष जुटाने के लिए बैंकों को आईपीओ/एफपीओ लाने की अनुमति। बशर्ते सरकारी हिस्सेदारी 52 फीसदी से अधिक हो।
9. कर लाभ के साथ रियल एस्टेट एवं अवसंरचना निवेश ट्रस्ट की अनुमति।
10. 100 स्मार्ट शहर परियोजनाओं को मंत्रिमंडल की मंजूरी।
11. रेलवे में पांच साल में 130 अरब डॉलर खर्च प्रस्तावित।
12. अखिल भारतीय वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था लागू करने की दिशा में ठोस पहल।
13. कोयला ब्लॉक नीलामी के दो चक्र सफलता पूर्वक पूरे।
14. नए विधेयक पारित होने के साथ खनन क्षेत्र में जारी गतिरोध दूर।
15. दूरसंचार स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी पूरी।
16. मेक इन इंडिया, डिजिटल भारत और कौशल भारत पहल शुरू। रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोजगार सृजन पर जोर।
17. मुद्रा बैंक 20 हजार करोड़ रुपये कोष के साथ शुरू। यह छोटे उद्यमियों को 50 हजार से 10 लाख रुपये ऋण देगा।
18. सरकारी कंपनियों का विनिवेश शुरू।
19. फैसले में तेजी लाने के लिए कई मंत्री समूहों का विघटन।
20. केंद्र और राज्य के बीच राजस्व बंटवारे पर 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू।
21. इस्पात, कोयला और बिजली परियोजनाओं की मंजूरी के लिए एकल खिड़की प्रणाली।
22. कृषि उत्पादों में महंगाई नियंत्रित रखने के लिए कीमत स्थिरीकरण कोष स्थापित।
23. कृषि उत्पादों का भंडारण बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के साथ भंडारण अवसंरचना कोष गठित।
24. विदेशी कोषों की आय से संबंधित कर पर स्पष्टता, जिनके कोष प्रबंधक भारत में रहते हों।
25. न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) पर विधि आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में समिति गठित।

सिकंदर ने आधी दुनिया जीत ली थी पर जब मरा तो उसकी सिर्फ 3 इच्छा थी पढ़े.. —

सिकंदर ने आधी दुनिया जीत ली थी पर जब मरा तो उसकी सिर्फ 3 इच्छा थी पढ़े..

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1- जिन हकीमों ने इलाज किया वो सब जनाजे को कँधा दें ……..क्यों ?

“ताकि सबको पता चल जाये कि हकीम भी मरने से रोक नहीं सकते”

2- जनाजे की राह में वो सारी दौलत बिछा दी जाये जो उसने जिंदगी भर इकट्ठा करी …..क्यों ?

“ताकि सब जान लें जब मौत की घड़ी आती है तब ये दौलत भी किसी काम नहीं आती”

3- उसकी मौत के बाद जब उसका जनाजा निकले तो उसके दोनों हाथ बाहर लटकाये जाये ……….क्यों ?

“ताकि सबको मालूम हो इंसान खाली हाथ आया है और खाली हाथ जायेगा।

सनातनियो जागो।। कुछ करो देश और धर्म के लिए।। हम सबको इकठ्ठा होना ही होगा और इस जीवन को सार्थक करना है।। है न आप सब ताल ठोक कर अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित???

नहीं रहे संत निरंकारी बाबा हरदेव सिंह, कनाडा में सड़क हादसे में निधन — May 13, 2016

नहीं रहे संत निरंकारी बाबा हरदेव सिंह, कनाडा में सड़क हादसे में निधन

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नई दिल्ली। संत निरंकारी बाबा श्री हरदेव सिंह का निधन हो गया है। उनका निधन कनाडा के मॉन्ट्रियल में एक सड़क हादसे में हुआ है। बाबा के दामाद ने इस बात की पुष्टि की है कि उनका निधन सड़क हादसे में हुआ है।

संत निरंकारी बाबा की 27 देशों में 100 शाखाएं हैं। वह संत निरंकारी मिशन के प्रमुख थे। देश-दुनिया में उनको मानने वालों की संख्या लाखों में है। इस खबर के बाद इनमें शोक की लहर दौड़ गई है। परिवार भी सदमे में है। उनका जन्म दिल्ली में 1954 में हुआ था।

उन्हें बाबा भोला के नाम से भी जाना जाता था। हाल ही में दिल्ली में उनका एक बड़ा कार्यक्रम होना था। इस घटना के बारे में जानकर उनके मानने वालों में गमगीन माहौल बन गया है।

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सऊदी अरब माफ़ी मांगे नहीं तो हज़ के लिए नहीं जाएंगे मक्का। —

सऊदी अरब माफ़ी मांगे नहीं तो हज़ के लिए नहीं जाएंगे मक्का।

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ईरान ने कहा है कि सउदी अरब से हज के दौरान ईरानी नागरिकों की व्यवस्था के संबंध में समझौते पर बातचीत विफल हो गई है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार ईरानी नागरिकों के इस साल हज में न जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट साफ नजर आती है।

एजेंसी का कहना है कि ईरान ने हाजियों के लिए इंतजाम के समझौते में नाकामी के लिए सऊदी अरब को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। ईरानी अधिकारियों के अनुसार सऊदी अरब ने बातचीत में उदासीनता दिखाई और उसका रवैया अनुचित और नकारात्मक था।

दोनों देशों के बीच हज में व्यवस्था पर बातचीत बेहद तनावपूर्ण माहौल में शुरू हुई थी। ईरान और सऊदी अरब क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी हैं और दोनों के बीच सीरिया और यमन के संकट के पहले से ही संबंध तनावपूर्ण थे।

ये कड़वाहट उस समय बढ़ गई जब पिछले साल हज के मौक पर भगदड़ मचने से सैकड़ों तीर्थयात्री मारे गए और इनमें ज्यादातर ईरानी नागरिक थे। इस घटना पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनई ने सऊदी सरकार से मांग की थी कि वह घटना की जिम्मेदारी स्वीकार करे और माफी मांगें। 

उनका कहना था, ‘इधर उधर आरोप लगाने के बजाय सऊदी अरब को जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए मुसलमानों और पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगनी चाहिए।’ इस घटना के कुछ ही दिनों बाद सऊदी अरब में शिया धर्मगुरु निम्र अल-निम्र को फांसी दे दी गई। 

जिसके बाद ईरान में सऊदी अरब के दूतावास पर प्रदर्शनकारियों ने धावा बोल दिया और इसके जवाब में सऊदी अरब ने ईरान से अपने राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे।
 

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माफ़ी मांगे सऊदी अरब नहीं तो हज़ के लिए नहीं जाएंगे मक्का। —

माफ़ी मांगे सऊदी अरब नहीं तो हज़ के लिए नहीं जाएंगे मक्का।

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ईरान ने कहा है कि सउदी अरब से हज के दौरान ईरानी नागरिकों की व्यवस्था के संबंध में समझौते पर बातचीत विफल हो गई है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार ईरानी नागरिकों के इस साल हज में न जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट साफ नजर आती है।

एजेंसी का कहना है कि ईरान ने हाजियों के लिए इंतजाम के समझौते में नाकामी के लिए सऊदी अरब को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। ईरानी अधिकारियों के अनुसार सऊदी अरब ने बातचीत में उदासीनता दिखाई और उसका रवैया अनुचित और नकारात्मक था।

दोनों देशों के बीच हज में व्यवस्था पर बातचीत बेहद तनावपूर्ण माहौल में शुरू हुई थी। ईरान और सऊदी अरब क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी हैं और दोनों के बीच सीरिया और यमन के संकट के पहले से ही संबंध तनावपूर्ण थे।

ये कड़वाहट उस समय बढ़ गई जब पिछले साल हज के मौक पर भगदड़ मचने से सैकड़ों तीर्थयात्री मारे गए और इनमें ज्यादातर ईरानी नागरिक थे। इस घटना पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनई ने सऊदी सरकार से मांग की थी कि वह घटना की जिम्मेदारी स्वीकार करे और माफी मांगें। 

उनका कहना था, ‘इधर उधर आरोप लगाने के बजाय सऊदी अरब को जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए मुसलमानों और पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगनी चाहिए।’ इस घटना के कुछ ही दिनों बाद सऊदी अरब में शिया धर्मगुरु निम्र अल-निम्र को फांसी दे दी गई। 

जिसके बाद ईरान में सऊदी अरब के दूतावास पर प्रदर्शनकारियों ने धावा बोल दिया और इसके जवाब में सऊदी अरब ने ईरान से अपने राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे।
 

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किसान आज आत्महत्या करने पर क्यों है मज़बूर, क्या सिर्फ सूखा है आत्महत्या का कारण? — May 12, 2016

किसान आज आत्महत्या करने पर क्यों है मज़बूर, क्या सिर्फ सूखा है आत्महत्या का कारण?

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किसान का मन्थन-1

सिंथेटिक रसायन : सूखा : आत्महत्या

आज जब हम किसान आत्महत्या पर चर्चा करते हैं तो हमें पीछे मुड़कर देखना होगा कि इसके क्या कारण रहे होंगे
पिछले 40 सालों में खेती में हमने क्या बदलाव किये जो ये स्थिति आ गयी।
इस लेख में हम उन कारकों का पता लगाने की कोशिश करेंगे जिनके कारण आज हम इस स्थिति में पहुंचे
आत्महत्या के मुख्य कारक निम्न कहे जा सकते हैं
1. सिंथेटिक रसायनिक खाद और कीटनाशकों के कारण खेती की लागत अत्यधिक बढ़ जाना
2. फसल का दाम उचित न मिल पाना
3. सूखा पड़ना

इनके आलावा भी कई क्षेत्रीय कारक हो सकते हैं परन्तु मोटे स्तर पर यही तीन कारक जब एक साथ मिल जाते हैं तो किसान को मजबूर होना पड़ता है ऐसा देखा गया है।

अब प्रश्न उठता है क्या ये सब कारक अलग अलग हैं या इनका आपस में कोई सम्बन्ध भी है?

आपका जवाब जो भी हो मेरा जवाब हाँ है

हरित क्रांति से पहले

50 साल पहले चलते हैं जब हरित क्रान्ति नहीं आई थी

तब खेती पशु आधारित थी या यूँ कहें के गाय आधारित ही थी
औसतन प्रति एकड़ 1 से 2 पशु हुआ करते थे हर किसान के पास
(मैंने मेरे पड़ोस के दादा से पूछा था तो उन्होंने बताया कि मेरे दादा के पास कुल 15 एकड़ जमीन थी और लगभग हर समय तीन जोड़ी बैल, 8 गायें, चार भैंसे और गाय भैंस के बच्चे होते थे।
इन्ही पशुओं के गोबर के खाद को  2 साल रखकर हर दूसरे साल प्रति एकड़ 15 से 20 बैलगाड़ी गोबर खाद खेत में डालते थे, ढेंचा या सणी भी लगाते थे बीच के साल जब खाद नहीं डलता।
इस प्रकार 12 से 15 कु गेहूं पैदा हो जाता था प्रति एकड़ वहीं दलहन तिलहन आदि भी उचित रूप से उगाते थे।
मजदूरों को कोई रुपया पैसा नहीं चाहिए होता था सब ख़ुशी ख़ुशी अनाज दाल आदि लेते थे मजदूरी के बदले या यूँ कहें खेती हीन मजदूर के परिवार का भरण पोषण शादी ब्याह सब किसानो की जिम्मेदारी थी
(ये सब मैंने अपने बचपन के दिनों तक देखा है)

फिर आई हरित क्रांति

देश को ज्यादा खाद्यान्न की आवश्यकता हुई
चूँकि हम समझदार हो रहे थे तो खुद अनुसन्धान न करके ऐसे अनुसन्धान अपना लिए जो पश्चिम में हुए (बिना ये सोचे के हमारा भूगोल उनसे भिन्न है)
विदेशों से ज्यादा इनपुट लेकर ज्यादा उत्पादन देने वाले बीज आये तो हमें करना था अपने गोबर को ज्यादा पोषक बनाकर इस्तेमाल, पर इस्तेमाल करने लगे सिंथेटिक खाद जैसे यूरिया, डी ए पी आदि।
भूमि में पहले से इस्तेमाल हो रहे गोबर खाद से भूमि उर्वरा थी , बॉयोलॉजिकल लोड भरपूर था , जीवाणु ही जीवाणु थे मिटटी में

यूरिया डला तो डबल इम्पैक्ट आया फसलें बम्पर होने लगी ।
हम इम्पोर्ट की बजाय एक्सपोर्ट करने लगे।
सब खुश हो गए खाद्यान संकट ख़त्म हुआ।

लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी था ,जहाँ एक और भूमि की उर्वरता जाती रही दूसरी और फसलों में रोग आने शुरू हो गए
रोग आने शुरू हुए तो रोग रोधक (कीटनाशक,फफूंदनाशक) डालने शुरू किये जिनके प्रयोग से भूमि में बचे खुचे जीवाणु भी नष्ट होते गए
चूँकि गोबर खाद नहीं डल रही थी तो जीवाणुओं का निर्माण भी नहीं हो रहा था
जीवाणु नष्ट हुए तो पैदावार गिरने लगी
पैदावार गिरने लगी तो ज्यादा मात्रा में सिंथेटिक खाद प्रयोग हुए जिससे भूमि में लवण बढ़ते गए और भूमि कठोर होती गयी।
बैलों से खेत नहीं जुत पाते तो ट्रेक्टर का प्रयोग हुआ फिर छोटे ट्रेक्टर फेल हुए तो आज 60 hp के ट्रेक्टरों से जुताई हो पा रही है।
भूमि कठोर , जीवाणु कम और पैदावार ज्यादा चाहिए तो बीज भी हाइब्रिड लेने लगे ।
जब भूमि कठोर हुई तो भूजल का रिचार्ज खत्म हुआ ,भूजल गिरता गया।
आखिर कार हम जो थे उसके विपरीत हो गए।
पशु कम हुए , बैलो से जुताई बन्द हुई , और बीज भी अपना नहीं।
जो अर्थ व्यवस्था गाँव तक सीमित थी उस पर शहरी व्यापरियों का कब्जा हो गया।
खाद कीटनाशक व्यापारी से , बीज व्यापारी से ,ट्रेक्टर व्यापारी से , मोटर सबमर्सिबल पम्प व्यापारी से
खेती में मेहनत बढ़ती गयी मजदूरी बढ़ती गयी।

लागत ही लागत ,उत्पादन साधारण, कीमत न्यूनतम!

अब बात सूखे के कारणों की

1.सिंथेटिक रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से किसान का मित्र खेत जुतैया केचुआ नष्ट हुआ जो 15 फ़ीट तक जुताई करता और वर्षा जल को भूमि में जाने का रास्ता बनाता।
2. रसायनों से आये सिमेंटिग लवणों से मिटटी कठोर हुई जिससे वर्षा जल नीचे नहीं जा पाया
3. इन सबके साथ सबसे खतरनाक काम किया खरपतवार नाशकों ने जैव विविधता ही नष्ट कर डाली, खरपतवार को काटकर किसान मिटटी में मिलाता था , खेत को बायोमास मिलता था , वो बन्द हुआ क्योंकि ये तो खरतप्तवार को फूँक देता है।
इन सब कारकों के कारण सुखा पड़ता गया उत्पादन शून्य हुआ
लागत अधिकतम रही
किसान कर्ज दार हुआ
आत्महत्या ही उपाय दिखा

क्या आपको लगता है आत्महत्या ही उपाय है? नहीं
या इस लेख को नीचे से ऊपर को पढ़कर हम सही राह पकड़ सकते हैं ? हाँ

क्या हम विज्ञान और परम्परा को साथ लेकर पुनः किसान को स्थापित कर सकते हैं ? हाँ

क्या ऐसा करने से देश भूखा तो नहीं मर जायेगा ? नहीं

सब जवाब इसी लेख से निकलेंगे
आइये कोशिश करते हैं

एक किसान की कलम से,
किसान नितिन काजला
चेयरमैन, साकेत

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वैदिक समय मे भारतीय भी खाते थे बीफ-आदि गोदरेज, क्या ये खुद भी खाते है बीफ ?…. —

वैदिक समय मे भारतीय भी खाते थे बीफ-आदि गोदरेज, क्या ये खुद भी खाते है बीफ ?….

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गोदरेज ने कहा, ‘वेदिक समय में भारतीय बीफ खाते थे। हमारे धर्म में बीफ के खिलाफ कुछ नहीं है। कई सालों तक पड़े अकाल के चलते यह शुरू किया। बड़े कहते थे कि गायों को मत मारो, उन्‍हें बच्‍चों के दूध के लिए बचाओ। यह बातें धार्मिक विश्‍वास में बदल गईं। यह बकवास है। वेदिक भारतीय बीफ खाते थे।’
.
मोदी सरकार के दो साल के कामकाज पर गोदरेज कहा, ‘कारोबार करने में आसानी वास्‍तम में मदद करती है। हमें कमोडिटी की कीमतों में कमी से फायदा हुआ है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्‍यवस्‍था बना रहेगा। भारत धीरे-धीरे मजबूत विकसित देश के रूप में उभरेगा।’
.
एनसीपी और जेडीयू जैसी पार्टियों ने गौ हत्या करवाने के समर्थन में गोदरेज का साथ दिया है और इस बहाने मोदी सरकार की नीतियों पर हमला किया है।

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